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श्री राम नवमी उत्सव

रंजनी,
फरीदाबाद

हरि ॐ,

गुरू माँ के श्रीचरणों में अनंत कोटि प्रणाम !

२१, अप्रैल ,२०२१ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर, श्री राम नवमी के शुभ अवसर पर, हर्ष और उल्हास से हमनें माँ जी के साथ षोडशोपचार मानस पूजा की। गुरुजनों के आशीर्वाद और कृपा से मैं (रंजनी) , अनंता , पंकज जी, परिस्थितियों के विपरीत आश्रम पहुँच पाए। उसी दिन माँ जी ने श्री राम चरित मानस में ,बालकाण्ड , की समाप्ति की।

श्री राम चरित मानस, श्री तुलसीदासजी विरचित, माँ जी के साथ पढ़ने, और मधुर स्वरों में सोरठा, छंद, चौपाई, दोहा, सुनने और साथ उच्चारण करने में आनंद प्राप्त हुआ। हिंदी भाषा में सुन्दर अवधि भाषा के रहस्यमय अर्थ और सार को समझने का अनुभव मिला। माँ की सुन्दर वाणी में कई महत्वपूर्ण बातें और तात्पर्य छिपे हैं जिससे मनुष्य अपने जीवन में सामंजस्य और शांति ला सकते हैं। माँ ने बताया कि श्री राम चरित मानस को हम चार दृष्टि से पढ़ सकते हैं। एक जोड़ी भरद्वाज ऋषि एवं याज्ञवल्क्य जी की है, दूसरी शिव जी एवं देवी पार्वती जी की, तीसरी काकभुशुण्डि जी एवं गरुड़ जी महाराज की,चौथी संत तुलसीदास जी और स्वयं श्रोता की। हम पहली जोड़ी कर्मकांड,दूसरी ज्ञान,तीसरी भक्ति,चौथी ध्यान की दृष्टि से पढ़ सकते हैं। माँ ने कहा कि हमें अपने मन को एकाग्रत करके गुरू वाणी को गुरू की दृष्टि से समझने का प्रयास करना चाहिए।

हमने श्री गुरू परंपरा के श्रीचरणों में प्रणाम किया और क्षमा मांगी। भौतिकवाद में हम विषयों का ही उच्चारण कर रहे हैं, इसलिए गुरुजनों की वाणी को सुनने और समझने में हमसे बहुत सी भूल हो रही है। माँ हमें क्षमा करें।

उस शुभ दिन पर माँ ने प्रेम से उन सभी लोगों को याद किया जो विपरीत परिस्थितियों के कारण आश्रम नहीं आ पा रहे और ख़ुशी भी व्यक्त की कि बहुत से लोग शास्त्र पढ़ने का प्रयत्न कर रहे हैं। माँ ने सभी को अपना आशीर्वाद दिया।

हमारे लिए बहुत सौभाग्य की बात है कि बालकाण्ड को सुनने का आनंद हम फिर से ले पाएंगे। हम प्रतीक्षा कर रहे हैं वीडियो रिकॉर्डिंग की जो हम सब के लिए माँ जी के प्रेम और प्रसाद के रूप में भेंट है। मैं मनीष जी का धन्यवाद करती हूँ जिनके सेवा भाव और प्रयास से हम सब घर बैठे यह लाभ उठा पाएंगे।

माँ ने हम सबको हिंदी भाषा में बोलने के लिए प्रेरित किया। इसी प्रेरणा से मैंने हिंदी में लिखने का प्रयास किया है।

श्री गुरू परंपरा के पावन चरणों में आभार और कोटि कोटि प्रणाम !

हरि ॐ।